Adani की वो ताकत, जिसे Hindenburg भी नहीं हिला पाया, संकट में भी इस कंपनी ने की ताबड़तोड़ कमाई

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने 24 जनवरी को अडानी समूह (Adani Group) को लेकर एक निगेटिव रिपोर्ट जारी की। 88 सवालों के साथ अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए है। इस रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप और गौतम अडानी (Gautam Adani) को बड़ा झटका दिया।

अडानी समूह (Adani Group) की कंपनियों के शेयर प्राइस 85 फीसदी तक गिर गए। गौतम अडानी (Gautam Adani) की दौलत 100 अरब डॉलर तक गिर गई। अडानी जो कभी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर थे, इस रिपोर्ट के आने के बाद फोर्ब्स की बिलेनियर लिस्ट में लुढ़ककर 37वें नंबर पर पहुंच गए। हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट से अडानी की कंपनियों को बड़ा नुकसान हुआ है। अडानी के शेयरों में सूनामी आ गई, लेकिन इनसब के बीच अडानी की एक कंपनी उनके लिए ताकत बन कर उभरा।

अडानी के लिए ताकत है ये कंपनी

हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट के कारण अडानी (Gautam Adani) के शेयरों में गिरावट आई, लेकिन सबसे कम प्रभावित अडानी पोर्ट्स के शेयरों पर पड़ा। मुश्किल दौर में इस कंपनी ने अडानी समूह कोलबड़ा सहारा दिया। हिंडनबर्ग के हमलों के बीच ये कंपनी ताकत के साथ खड़ी रही। इस कंपनी ने ना केवल हिंडनबर्ग के हमले को मजबूती के साथ झेला बल्कि कमाई के मामले में भी सबसे आगे रही। मुश्किल वक्त में भी इस कंपनी ने मुनाफा कमाया। अडानी के साम्राज्य विस्तार में अडानी पोर्ट्स का बड़ा हाथ है। खासकर 90 के दशक में इस कंपनी ने अडानी समूह के ग्रोथ में बड़ा योगदान किया।

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कैसे शुरू हुआ अडानी पोर्ट्स का कारोबार​

गौतम अडानी (Gautam Adani) अपने परिवार के पहले कारोबारी है। उन्होंने प्लास्टिक फैक्ट्री के साथ कारोबार जगत में कदम रखा और चंद सालों में अडानी साम्राज्य खड़ा कर दिया। आज हम सिर्फ अडानी पोर्ट्स की बात करेंगे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी के हाथों में कमान सौंपी गई। राजीव गांधी ने इंपोर्ट पॉलिसी में बदलाव किया। गौतम अडानी ने इस मौके को बिना देर किए लपक लिया। 1991 में देश ने उदारीकरण की राह पर कदम रखा। पीवी नरसिंह राव की सरकार ने उदारीकरण की शुरूआत की।

वहीं गुजरात की चिमनभाई पटेल सरकार ने निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट कंपनियों को बंदरगाह (Ports) आवंटित करना शुरू किया गया। गौतम अडानी ने फिर मौके पर चौका मारा। सरकार ने ऐसे 10 बंदरगाहों की लिस्ट तैयार की, जिन्हें निजी कंपनियों को आवंजिट किया जाना था। इस लिस्ट में मुंद्रा पोर्ट (Mundra Ports) का नाम भी शामिल था। ये फैसला अडानी के लिए बड़ा गेमचेंजर साबित हुआ। अगर यूं कहीं कि अडानी के साम्राज्य की असली शुरूआत इसी दौर में हुई तो गलत नहीं होगा। साल 1998 में गौतम अडानी को 8000 हेक्टेयर में फैसे मुंद्रा पोर्ट्स की कमान सौपी गई।

चुनौतियों को जीतकर बढ़े आगे

मुंद्रा पोर्ट्स के साथ उन्हें वेस्टलैंड की जमीन मिली थी। ऐसी जमीन मिली थी, जो हाई टाइज के समय पानी में चली जाती थी। इस पोर्ट को तैयार करने के लिए उन्हें रिक्लेमेशन करना पड़ा। उस पोर्ट को तैयार करने में लगने वाली लागत ओरिजनल कॉस्ट से अधिक थी। हालांकि अडानी मुश्किलों से हार मानने वाले नहीं थे। 10 सालों की मेहनत के बाद आज अडानी का मुंद्रा पोर्ट देश का सबसे बड़ा बंदरगाह है। अडानी पोर्ट्स के पास 13 घरेलू बंदरगाह हैं। अडानी पोर्ट्स से देश के लगभग एक चौथाई माल की आवाजाही होती है।

बेटे के हाथों में पोर्ट्स की कमान

गौतम अडानी के बेटे करण अडानी अडानी पोर्ट्स की जिम्मेदारी संभालते हैं। अडानी का मुंद्रा पोर्ट दुनिया में कोयसे की सबसे बड़ी माल ढुलाई करता है। एडवांस तकनीक के दम पर अडानी का ये पोर्ट मिडिल ईस्ट एशिया, वेस्ट्न एशिया, अफ्रीका से होने वाले पोर्ट 70 फीसदी ट्रेड को ऑपरेट करता है। इसकी कमाई में कार्गो से आने वाले समानों की लोडिंग, अनलोडिंग, स्टोर, डिलीवरी से होती है। अडानी के मुंद्रा पोर्ट के पास 24 से अधिक वेयरहाउस हैं। इस पोर्ट्स से दुनिया के कोने-कोने से कार्गो शिप यहां पहुंचते हैं।

मुश्किल वक्त में भी मुनाफा

अडानी पोर्ट्स से बुरे वक्त में भी अडानी का साथ दिया। अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 1315 करोड़ की कमाई की। अडानी पोर्ट्स का नेट फ्रॉफिट 1567 करोड़ रहा। कंपनी का रेवेन्यू सालाना आधार पर 18 फीसदी बढ़ा।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी के बाकी शेयरों से साथ अडानी पोर्ट के शेयर भी गिरे, लेकिन बाकियों की तुलना में इसकी गिरावट कम रही। अडानी पोर्ट्स के शेयर 30 फीसदी तक गिरे, जो अडानी की बाकी कंपनियों के शेयर में आई गिरावट से कम था। अडानी पोर्ट्स के शेयर में सुधार की रफ्तार भी बाकी शेयरों के मुकाबले तेज है।

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