नई दिल्ली. भारतीय बिजनेस जगत के दिग्गज हर्ष गोयनका ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन की सैलरी को लेकर इंटरनेट पर नई बहस छेड़ दी है. उन्होंने एक ट्वीट में पूछा कि क्या इसरो के चेयरमैन श्रीधर पैनिकर सोमनाथ (Sreedhara Panicker Somanath) की सैलरी उनके काम के मुताबिक काफी है? क्या ये सही और जायज है? ट्वीट में उन्होंने कहा है कि सोमनाथ की सैलरी 2.5 लाख रुपये महीना है.
हालांकि, हर्ष गोयनका के ट्वीट का मुख्य मकसद यह कहना था कि कुछ लोग पैसे से परे होकर भी काम करते हैं और खुद को मोटिवेट रखते हैं, जिन्हें समझे जाने की जरूरत है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि वे जो कुछ भी करते हैं वह विज्ञान और रिस्रच के प्रति अपने जुनून और समर्पण के लिए करते हैं. अपने देश में योगदान देने के लिए राष्ट्रीय गौरव के लिए और अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए काम करते हैं. आगे हर्ष गोयनका लिखते हैं कि वे ऐसे समर्पित लोगों के लिए अपना सिर झुकाता हूं. जाहिर है RPG ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने इसरो के चेयरमैन श्रीधर सोमनाथ को सम्मान दिया है, लेकिन उनके ट्वीट के बाद यह सवाल भी उठे हैं कि इसरो जैसी संस्था के चेयरमैन के लिए क्या केवल ढाई लाख रुपये सैलरी के तौर पर काफी हैं?
‘काफी कुछ मिलता है उन्हें’
उनके ट्वीट के जवाब में कई लोग उनके समर्थन में आ गए हैं तो कुछेक ने कहा है कि जो सरकारी अधिकारियों को मिलता है, प्राइवेट सेक्टर वह सुविधाएं कभी नहीं दे सकता. हर्ष गोयनका के इस सवाल के उत्तर में एक X (पहले ट्विटर) यूजर डॉ. नीलिमा श्रीवास्तव लिखती हैं कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं की बराबरी प्राइवेट सेक्टर कभी नहीं कर सकता. वे (सोमनाथ) और उनकी पत्नी सबसे अच्छे अस्पताल में 16 लाख रुपये तक का फ्री इलाज करवा सकते हैं. उन्हें सरकारी बंगला मिलता है और रिटायरमेंट के बाद उनकी आखिरी सैलरी के बराबर पेंशन भी मिलती रहती है. सरकारी कर्मचारी की पत्नी यदि अकेली रह जाती है तो उसे भी सैलरी का 50 फीसदी पैसा पेंशन में मिलता है और साथ ही सारे हेल्थ बेनिफिट्स भी. एक अन्य यूजर टैक्सोलॉजी इंडिया ने भी नीलिमा के सुर में सुर मिलाते हुए यही बात दोहराई है.
‘कुछ करोड़ तो मिलते ही’
एक अन्य यूजर ने कहा कि सर, यदि वे प्राइवेट सेक्टर में होते तो कितना मिलता? मैं यकीन से कह सकता हूं कि कम से कम कुछ करोड़ रुपये तो सालाना मिलते ही. अनुशरन लामा ने पूछा कि आप ही बता दीजिए उन्हें कितना पैसा मिले. एक यूजर आदित्य ने कहा कि इसरो के चेयरमैन को 25 लाख रुपये महीना मिलना चाहिए या फिर उससे भी ज्यादा. कुमार विक्रम नाम के यूजर ने लिखा कि पब्लिक फंड से चलने वाले संस्थान इसी तरह काम करते हैं, क्योंकि वे जनता के पैसे का उपयोग करते हैं. कॉर्पोरेट कल्चर में, वेतन में बहुत अधिक असमानता है और कॉर्पोरेट्स को पहले उस समस्या को ठीक करना चाहिए.