Washington: अगले महीने यानी नवंबर में America के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और China के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग (xi Jingping) की मुलाकात हो सकती है। द वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, दोनों लीडर्स की मीटिंग सैन फ्रांसिस्को में हो सकती है। फिलहाल इसकी प्लानिंग की जा रही है। कुछ भी कन्फर्म नहीं है।
इस मुलाकात को दोनों देशों के रिशतों को ट्रैक पर लाने के नजरिए से अहम माना जा रहा है। व्हाइट हाउस के एक सीनियर अफसर ने कहा- आने वाले समय में चीन के विदेश मंत्री अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं इसके बाद ही बाइडेन और जिनपिंग की मुलाकात की जानकारी साफ तौर पर मिल पाएगी।
Joe Biden & Xi Jingping की मुलाकात का अभी तक औपचारिक ऐलान नहीं
बाइडेन प्रशासन (Joe Biden) के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, यह काफी हद तक पक्का है कि एक बैठक होगी, अभी तक इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है। अधिकारी ने कहा,हम प्लानिंग की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशासन के एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जो बाइडेन शी जिनपिंग से मिलने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन इस मुलाकात को लेकर अभी तक कुछ भी कंफर्म नहीं है”।
चीनी विदेश मंत्री के दौरे के बाद प्लानिंग स्पष्ट होगी
अधिकारियों ने कहा कि आने वाले हफ्तों में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के वाशिंगटन आने के बाद प्लानिंग और स्पष्ट हो जाएगी। वाशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने एक ईमेल में कहा, “चीन और अमेरिका द्विपक्षीय जुड़ाव और आदान-प्रदान पर बातचीत कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “दोनों पक्षों (Joe Biden & Xi Jingping) को एक ही दिशा में काम करने, बाधाओं और मतभेदों को दूर करने, बातचीत बढ़ाने और अच्छे विश्वास के साथ सहयोग का विस्तार करने की जरूरत है।” बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच हाल के दिनों में ताइवान, कोविड-19, जासूसी और ट्रेड ट्रैफिक समेत कई मुद्दों के चलते रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल नवंबर में इंडोनेशिया के बाली में जी 20 शिखर सम्मेलन (G20) के अवसर हुई मुलाकात के बाद से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के बीच यह पहली व्यक्तिगत बैठक होगी। बाली में दोनों राष्ट्रपतियों ने आमने-सामने की कूटनीति के महत्व पर जोर दिया और उम्मीद जताई थी कि वे अमेरिका-चीन संबंधों को पटरी पर ला सकते हैं।
जानिए 4 विवाद जो अमेरिका और चीन को दोस्त नहीं बनने देते…
1. साउथ चाइना सी में चीन की दादागीरी
साउथ चाइना सी में चीन की दादागीरी अमेरिका को कभी रास नहीं आई। दोनों देश इस मसले पर कई बार एक दूसरे को धमका भी चुके हैं। दोनों देशों की सेनाएं इस इलाके में एक्सरसाइज करती हैं। इस वजह से उनमें टकराव की स्थिति बन जाती है।
चीन का कहना है कि साउथ चाइना सी से अमेरिका का कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एडमिनिस्ट्रेशन ने तो यहां तक कहा था कि साउथ चाइना सी पर पूरी दुनिया का हक है।
2. ताइवान पर चीन के कब्जे का डर
दक्षिण एशिया में अमेरिका ताइवान को मदद देकर चीन को काबू में रखने की रणनीति पर चलता है। 1949 में ताइवान चीन से अलग होकर नया देश बना था। चीन इस पर अपना कब्जा जताता है। इस लड़ाई में अमेरिका ताइवान के साथ है। वह उसे हथियार समेत हर मुमकिन मदद देने का वादा कर चुका है। बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन में संसद की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान की राजधानी ताइपेई पहुंची थीं। चीन इससे गुस्से में आ गया था।
वहीं, ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन तो चीन की धुर विरोधी मानी जाती हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में वन चाइना पॉलिसी को मानने से मना कर दिया। इसके बाद चीन ने ताइवान से सभी तरह के संबंध तोड़ लिए थे। लेकिन चीन हमेशा से ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है।
3. हांगकांग में लोकतंत्र का दमन
हांगकांग में चीन लगातार अपना दखल बढ़ाता जा रहा है। हांगकांग में लोकतंत्र का समर्थन करने वाले इसका विरोध करते हैं। अमेरिका लोकतंत्र समर्थकों का सपोर्ट करता है। इसका असर चीन के साथ उसके संबंधों पर भी पड़ा है।
4. उइगर मुसलमानों पर चीन का अत्याचार
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि चीन उइगर मुसलमानों की आवाज को दबा रहा है। उन्हें बिना कारण कैद करके रखा जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ह्यूमन राइट्स के पक्षधर माने जाते हैं। अमेरिकी संसद में इस मुद्दे पर बिल भी पास हो चुका है। ऐसे में यह दोनों देशों के बीच बड़ा मसला है।