Thackeray vs Shinde | आज आ सकता है चुनाव आयोग का फैसला, ठाकरे और शिंदे गुट की नजर धनुष बाण पर

मुंबई : पिछले 20 जनवरी को केंद्रीय चुनाव आयोग (Central Election Commission) में चुनाव चिन्ह धनुष बाण (Dhanush Baan) पर कब्जा हासिल करने को लेकर ठाकरे (Thackeray) और शिंदे गुट (Shinde Group) के वकीलों में जमकर महाभारत हुई थी। जिसकी अगली सुनवाई आयोग ने 30 जनवरी को टाल दी थी। चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को 23 जनवरी तक लिखित में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे। इस मामले पर सुनवाई के दौरान ठाकरे गुट के सीनियर अधिवक्ता देवदास कामत और शिंदे गुट के अधिवक्ता महेश जेठमलानी के बीच जोरदार बहस हुई थी। उम्मीद की जा रही है आज 30 जनवरी को धनुष बाण पर चुनाव आयोग का फैसला आ सकता है। शिंदे गुट की ओर से महेश जेठमलानी ने कहा कि हमारे पास सबसे ज्यादा विधायक और सांसद हैं। ऐसे में पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष बाण पर हमारा अधिकार बनता है। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि मुख्य नेता का पद वैध है और हमने पार्टी संविधान का पालन किया है। जबकि ठाकरे गुट से कामत ने कहा कि उद्धव ठाकरे को ही पार्टी अध्यक्ष के नाते मूल प्रतिनिधि सभा बुलाने का अधिकार है और शिंदे गुट द्वारा आयोजित प्रतिनिधि सभा असंवैधानिक है। कामत ने यह भी कहा कि शिंदे गुट राजनीतिक दल है ही नहीं। ठाकरे गुट ही असली शिवसेना है। 

साबित होगा कौन है असली शिवसेना ?

ठाकरे गुट की तरफ से उनका पक्ष रखते हुए सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि शिंदे गुट की याचिका में झूठे दावे किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिंदे गुट ने संसदीय प्रक्रिया का मजाक उड़ाया है। ठाकरे गुट ही असली शिवसेना है। सिब्बल ने कहा कि प्रतिनिधि सभा हमारे पक्ष में है। जो सदस्य पार्टी छोड़ कर चले गए हैं वे प्रतिनिधि सभा का हिस्सा नहीं हो सकते हैं। उन्होंने एक बार फिर कहा कि शिंदे समूह के दावों में कई गलतियां हैं। हालांकि शिंदे गुट के वकील जेठमलानी ने कहा कि प्रतिनिधि सभा केवल आपके पास कैसे हो सकती है। इसके जवाब में ठाकरे गुट के कामत ने कहा कि मूल प्रतिनिधि सभा को भंग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे खुद शिवसेना में थे फिर यह पार्टी कैसे बोगस हो सकती है। 

पिछले साल जून में शुरू हुई थी लड़ाई

पिछले साल जून में शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने अचानक एमवीए सरकार की बगावत कर दी। उनके साथ कई विधायक टूटे और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। उसके बाद बीजेपी के साथ मिलकर एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग तक गया। शिंदे गुट ने पिछली सुनवाई में 1971 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया था। इस फैसले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाले एक गुट को मूल कांग्रेस के रूप में मान्यता दी गई थी।

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