Ram Sethu को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने की प्रक्रिया जारी, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि ‘रामसेतु‘ को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया अभी संस्कृति मंत्रालय में चल रही है. जबकि कोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को मंत्रालय के साथ इस मुद्दे से संबंधित अतिरिक्त सामग्री दाखिल करने की अनुमति दी.

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने रामसेतु को लेकर दायर की है याचिका

मालूम हो भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का निर्देश देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. स्वामी ने कोर्ट में कहा था कि सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दाखिल करने का वादा किया था और कैबिनेट सचिव को अदालत में तलब किया जाना चाहिए. स्वामी ने कहा, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जवाब 12 दिसंबर तक दाखिल किया जाएगा. लेकिन यह अभी तक दायर नहीं किया गया है. पहले, उन्होंने कहा था कि यह तैयार है. दूसरी ओर मेहता ने कहा था कि मामला विचाराधीन है और विचार-विमर्श चल रहा है.

रामसेतु श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट से दूर मन्नार द्वीप के बीच पत्थरों की एक शृंखला

राम सेतु, तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट से दूर मन्नार द्वीप के बीच पत्थरों की एक शृंखला है. इसे आदम का पुल भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि राम ने रावण पर हमला करने के लिए इसी पुल का निर्माण कराया था.

केंद्र ने राम सेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि वह मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं जिसमें केंद्र ने राम सेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था.

2007 में सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद सेतुसमुद्रम पोत मार्ग परियोजना पर लगाया था बैन

भाजपा नेता ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में शुरू की गई विवादास्पद सेतुसमुद्रम पोत मार्ग परियोजना के खिलाफ अपनी जनहित याचिका में रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का मुद्दा उठाया था. मामला शीर्ष अदालत में पहुंचा, जिसने 2007 में रामसेतु पर परियोजना के लिए काम रोक दिया. तब केंद्र ने कहा था कि उसने परियोजना के सामाजिक-आर्थिक नुकसान पर विचार किया और वह राम सेतु को क्षति पहुंचाए बिना पोत मार्ग परियोजना का दूसरा मार्ग खोजना चाहती है. अदालत ने तब सरकार को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था.

सेतुसमुद्रम परियोजना पर अमल की केंद्र से मांग संबंधी प्रस्ताव तमिलनाडु विधानसभा में पारित

तमिलनाडु विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से बिना किसी देरी के सेतुसमुद्रम जहाज नहर परियोजना तुरंत लागू करने का आग्रह किया.

सेतुसमुद्रम जहाज नहर परियोजना 1963 में नेहरू सरकार ने दी थी मंजूरी

सेतुसमुद्रम जहाज नहर परियोजना को 1963 में नेहरू के नेतृत्व वाली कैबिनेट की मंजूरी मिली थी और यह चौथी पंचवर्षीय योजना का हिस्सा थी. अन्नादुरई ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 1967 में परियोजना को लागू करने की मांग की थी. वर्ष 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे तो परियोजना के काम के लिए धन आवंटन किया गया था और ‘अलाइनमेंट’ का निर्णय किया गया था.

Leave a Comment