नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली के यमुना नदी में गिरने वाले 24 नालों की सफाई के मामले में सुनवाई करते हुए कवर्ड नालों की सफाई पर सवाल उठाए हैं। एनजीटी ने यह चिंता व्यक्त की है कि यदि कुशक नाला और सुनेहरी पुल नाले के कवर किए गए हिस्सों की सफाई नहीं की जाती तो नालों के ओवरफ्लो या बाढ़ की समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा।
एनजीटी ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड फ्लड कंट्रोल विभाग (आई एंड एफ सी डी) के अतिरिक्त मुख्य सचिव से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि इन कवर्ड नालों की सफाई के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएं।
21 फरवरी, 2025 को एनजीटी में आई एंड एफ सी डी के अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया कि दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन कुशक नाला और सुनेहरी पुल नाला के कवर खोले जाने के लिए पत्र भेजे गए थे, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इस मुद्दे को दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ उठाया जाएगा और अगले 10 दिनों में इसे हल करने की कोशिश की जाएगी।
वहीं, इस जवाब से असंतुष्ट एनजीटी ने अतिरिक्त मुख्य सचिव से कहा कि वे कुशक नाला और सुनेहरी पुल नाले के साथ 22 अन्य नालों की सफाई को लेकर एक नया हलफनामा दाखिल करें।
एनजीटी में जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने आई एंड एफ सी डी को दिल्ली की यमुना से मिलने वाले 24 नालों की सफाई के लिए प्रगति रिपोर्ट तलब की थी। साथ ही कहा था कि हलफनामा दाखिल कर यह बताएं कि नालों की सफाई कार्य समय सीमा के भीतर पूरी की जाएगी।
मामले में आई एंड एफ सी डी के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने स्पष्ट रूप से यह पुष्टि की कि नालों की सफाई का कार्य निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि कार्य की निगरानी और समीक्षा नियमित रूप से की जाएगी, ताकि किसी प्रकार की देरी न हो और बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या से बचा जा सके। इसके अतिरिक्त तीसरी पार्टी एजेंसियों को कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया गया है।
एनजीटी ने मामले में दाखिल किए गए आवेदन पर अन्य संबंधित पक्षों से 2 हफ्ते के भीतर प्रतिक्रिया देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी।