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राजस्थान चुनाव से पहले 'राम' की इंट्री, देखें कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने क्या कहा

राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव को लेकर कांग्रेस ने कमर कस ली है. कांग्रेस की ओर लोगों का रुझान बढ़ाने के लिए कांग्रेस नेता व MLA सचिन पायलट निकल चुके हैं. उन्होंने आज राजस्थान के नागौल में एक जनसभा को संबोधित किया और भाजपा सरकार पर जमकर हमला किया. कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि लगभग साढ़े नौ साल हो गये हैं, इन्होंने (BJP) सरकार बनने से पहले कहा था कि किसानों की आमदनी दोगुनी करेंगे. देश के किसान ने सालों तक धरना दिया और तीनों कृषि कानून वापस लेने पर केंद्र सरकार को मजबूर किया. इस देश का किसान अगर संगठित हो जाता है तो दुनिया की हर ताकत को हमारे सामने झुकना पड़ेगा.

सबसे ज्यादा राम का नाम तो मैं लेता हूं

राजस्थान के नागौल में कांग्रेस नेता व MLA सचिन पायलट ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि ये लोग अपने आप को बहुत बड़े राम भक्त मानते हैं. लेकिन मैं बता दूं कि सबसे ज्यादा राम का नाम तो मैं लेता हूं. ये लोग उम्मीद लगाये बैठे हैं कि बड़ी-बड़ी घोषणाएं करेंगे. तो मैं उनसे कह देना चाहता हूं कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है. ये लोग मुद्दों से भटकाने का काम करते हैं. जरा इनसे रसोई गैस की कीमत पूछना जो 1100 रुपये हो चुकी है. पेट्रोल-डीजल के दाम जरा इनसे पूछो…महंगाई आसमान छू रही हैं. मैं पूछना चाहता हूं भाजपा के साथियों से कि क्या कोई भी नेता महंगाई पर कुछ बोल रहा है अब ? जब आप विपक्ष में थे हाय महंगाई डायन करते रहते थे. लेकिन अब महंगाई नहीं दिखती है.

ये लोग किसानों की बात कभी नहीं करते

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि ये लोग किसानों की बात कभी नहीं करते हैं. ये लोग किसानों को कमजोर समझते हैं. यदि देश का किसान और नवजवान एक हो गया तो झूठ बोलने वालों की पोल खुल जाएगी. किसानों के नाम पर राजनीति सब करते हैं लेकिन किसानों के हालात आज क्या हैं ? केंद्र में भाजपा सरकार को करीब नौ साल हो गये लेकिन किसानों को अभी भी छोटे कर्ज के लिए बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं. जो देश के एक सौ तीस करोड़ लोगों का पेट पालता है उसे आज भी दर-दर भटकना पड़ता है.

कृषि विरोधी कानून का जिक्र

कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार ने सदैव किसान की कमर तोड़ने का काम किया. धन्य है इस देश का किसान जिसने एक लम्बे समय तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया और केंद्र सरकार को तीन कृषि विरोधी कानून वापिस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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