दिल्ली: दो दिनों से एशिया के चौथे सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) एक निगेटिव रिपोर्ट को लेकर खूब पसीना बहा रहे हैं। रिपोर्ट के कारण उनकी कंपनियों के शेयरों में हजारों करोड़ रुपये की गिरावट आई। नतीजतन अडानी की संपत्ति में करीब छह अरब डॉलर (4,89,20,64,00,000 रुपये) की कमी आई। इस रिपोर्ट में पेश किए गए सबूतों पर अडानी ग्रुप ने अपना पक्ष रखा है और अब अदालती लड़ाई का हथियार उठाने को तैयार है।
आईये जानते है इस सनसनीखेज रिपोर्ट को पेश करने वाली कंपनी के बारे में…
अमेरिकी रिसर्च कंपनी ‘हिंडनबर्ग’ (Hindenburg Research) नेगेटिव रिपोर्ट्स के चलते सुर्खियों में आ गई है। कंपनी के संस्थापक नाथन एंडरसन हैं। उन्होंने कनेक्टिकट Univarsity से International Trade में डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्होंने ‘फैक्टसेट रिसर्च सिस्टम्स’ नाम की एक डेटा कंपनी ज्वाइन की। वहां वह ‘इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट’ कंपनियों के लेन-देन देखता था। इसके बाद उन्होंने 2017 में अपनी शॉर्ट सेलिंग कंपनी ‘हिंडनबर्ग’ शुरू की। हिंडनबर्ग रिसर्च एक फोरेंसिक फाइनेंसियल रिसर्च कंपनी है जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव का एनालिसिस (Analysis) करती है। ‘हिंडनबर्ग’ किसी भी कंपनी की फाइनेंसियल प्रॉब्लम (Financial Problem) का पता लगाने और उसकी रिपोर्ट तैयार करने और प्रकाशित करने का काम करता है। यह बैलेंस शीट में गड़बड़ी, मैनेजमेंट फॉल्ट (Management Fault) आदि जैसे मुद्दों की रिपोर्ट बनाती है।
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अब तक 16 कंपनियों में फाइनेंसियल हेर फेर को सामने ला चुका है
हिंडनबर्ग कंगाल हो चुकी कंपनी को अपने रिसर्च के द्वारा प्रॉफिट कमाने का मौका देता है। हिंडनबर्ग की वेबसाइट बताती है कि कैसे किसी कंपनी में फाइनेंसियल रिपोर्ट में हेर-फेर कर प्रॉफिट कमेटी है और हिंडेनबर्ग यही होने से रोकती हैं। साल 2017 में शुरू हुआ हिंडनबर्ग अब तक 16 कंपनियों में फाइनेंसियल हेर-फेर को सामने ला चुका है। इसमें ट्विटर (Twitter) की रिपोर्ट खूब चर्चित रही। हिंडनबर्ग दुनिया भर की सभी कंपनियों में गलत कामों का हिसाब रखता है और फिर उसे एक रिपोर्ट में प्रकाशित करता है। संबंधित कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट प्रकाशित करके ही ‘हिंडनबर्ग’ मुनाफा कमाता है।

अडानी ग्रुप के गवर्नेंस पर 88 सवाल
अब ‘हिंडनबर्ग’ ने गौतम अडाणी की कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अडानी समूह के बारे में प्रकाशित रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने सभी कंपनियों के कर्ज पर सवाल उठाया है। हिंडनबर्ग के दावे के मुताबिक सात कंपनियां शेयर बाजार (Share Market) में सूचीबद्ध हुई हैं और उनका बाजार मूल्य बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप के गवर्नेंस पर 88 सवाल खड़े किए।