Earthquake in Delhi: दिल्ली एनसीआर में मेहसूस हुए भूकंप के झटके

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दिल्ली-NCR समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप (earthquake in delhi) के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.6 रही। जानकारी के मुताबिक इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद में था। पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर और पेशावर में भी तेज झटके लगे।

सीस्मोलॉजी विभाग के मुताबिक रात 10:17 बजे कालाफगन, अफगानिस्तान से 90 किमी की दूरी पर यह झटके (earthquake in delhi) महसूस किए गए।

क्या करें, क्या न करें?

भूकंप (earthquake in delhi) के दौरान जितना हो सके सुरक्षित रहें। ध्यान रखें कि कुछ भूकंप वास्तव में भूकंप से पहले के झटके होते हैं और बड़ा भूकंप कुछ देर में आ सकता है। अपनी हलचल एकदम कम कर दें और नजदीकी सुरक्षित स्थान तक पहुंचें। तब तक घर के अंदर रहें जब तक कि भूकंप बंद न हो जाए और आप सुनिश्चित हों कि बाहर निकलना सुरक्षित है।

अगर घर के अंदर हों

जमीन पर लेट जाएं। एक मजबूत टेबल या फर्नीचर के अन्य टुकड़े के नीचे बैठकर खुद को कवर कर लें। यदि आपके आस-पास कोई टेबल या डेस्क नहीं है, तो अपने चेहरे और सिर को अपनी बाहों से ढक लें और किसी कोने में झुक जाएं। कमरे के कोने में, टेबल के नीचे या बिस्तर के नीचे छिपकर अपने सिर और चेहरे को बचाएं। कांच, खिड़कियां, दरवाजे, दीवारें और जो कुछ भी गिर सकता है (जैसे झूमर) से दूर रहें। जब भूकंप आए तो बिस्तर पर ही रहें। अपने सिर को तकिये से सुरक्षित करें। अगर आप किसी गिरने वाली चीज के नीचे हैं तो वहां से हट जाएं। दरवाजे से बाहर भागने का प्रयास तभी करें जब वह आपके पास हो और यदि आप जानते हैं कि दरवाजा मजबूत है।

जब तक कंपन बंद न हो जाए, तब तक अंदर ही रहें। रीसर्च से पता चला है कि ज्यादातर लोगों को चोटें तब लगती हैं जब वह इमारतों के अंदर से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं। ध्यान रखें कि बिजली जा सकती है या स्प्रिंकलर सिस्टम या फायर अलार्म चालू हो सकते हैं। अगर बाहर हों तो- आप जहां पर हैं, वहां से न हिलें। हालांकि, इमारतों, पेड़ों, स्ट्रीट लाइट्स और यूटिलिटी तारों से दूर रहें। यदि आप खुली जगह में हैं, तब तक वहीं रहें जब तक कंपन बंद न हो जाएं। सबसे बड़ा खतरा इमारतों से हैं, अधिकांश मौकों पर दीवारों के गिरने, कांच के उड़ने और वस्तुओं के गिरने से चोट लगती हैं।

जानिए क्यों आता है भूकंप?

पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है। ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है और इस डिस्‍टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

कैसे मापी जाती है तीव्रता?

भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है। रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है।

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