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137 दिन बाद वापसी कर रहे Rahul Gandhi, अब पीएम मोदी को कौन सा सरप्राइज देंगे?

लोकसभा में आज आज सबकी नजरें राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर रहेंगी। 137 दिन बाद लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने पहुंचे राहुल के निशाने पर आज केंद्र सरकार रहेगी।

सदन में पीएम नरेंद्र मोदी पर लगातार हमला करने वाले राहुल (Rahul Gandhi) इसबार पीएम को क्या सरप्राइज देंगे, ये भी देखना दिलचस्प होगा। कभी पीएम मोदी को जादू की झप्पी तो कभी आंखों के इशारे करने वाले राहुल इसबार किन मुद्दों को केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरेंगे इसकी रणनीति कांग्रेस बना चुकी होगी। माना जा रहा है कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की अगुवाई राहुल अपने कंधों पर उठा सकते हैं।

मॉनसून सत्र में ही दी थी पीएम मोदी को झप्पी

वर्ष 2018 के अगस्त महीने में ही मॉनसून सत्र के दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पीएम नरेंद्र मोदी को झप्पी दी थी। उस वक्त कांग्रेस की कमान संभाल रहे राहुल ने अपना भाषण पूरी करने के बाद सत्ता पक्ष की ओर गए और सदन में बैठे पीएम मोदी को गले लगा लिया। राहुल की इस प्रतिक्रिया पर पीएम मोदी भी थोड़े अचंभित हुए लेकिन उन्होंने इसपर कुछ कहा नहीं।

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जब राहुल गांधी ने संसद में मारी थी आंख

पीएम मोदी को गले लगाने के बाद जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) विपक्ष की बेंच के पास लौटने लगे तो विपक्षी सदस्य उनकी हौसलाअफजाई करते दिखे। लेकिन जैसे ही राहुल पीएम मोदी को गले लगाकर अपनी सीट पर बैठे उन्होंने अपने साथी सांसदों को देखकर आंख मारी। राहुल की झप्पी वाली बात पर तो पीएम मोदी ने कुछ नहीं कहा लेकिन उनके आंखों वाले इशारे पर तंज कसा था। 2018 में लोकसभा में पीएम ने कहा था कि आज आंखों ने जो किया, वह पूरे देश ने देखा है।

आज क्या करेंगे राहुल?

पिछले करीब चार महीने से अपनी सदस्यता जाने के बाद से राहुल (Rahul Gandhi) केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। I.N.D.I.A. गठबंधन बनने के बाद राहुल ने ट्वीट किया था, जीतेगा इंडिया। अब जब लोकसभा में उन्हें अविश्वास प्रस्ताव पर बोलने का मौका मिलेगा तो निश्चित तौर पर वह मोदी सरकार हमलावर रुख अपनाएंगे। माना जा रहा है कि मणिपुर से लेकर दिल्ली सर्विस बिल का जिक्र करके वह केंद्र को घेरेंगे। इस दौरान राहुल गांधी के हाव-भाव पर सबकी नजर रहेगी।

अविश्वास प्रस्ताव क्या है?

भारत जैसे लोकतंत्र में कोई सरकार तभी सत्ता में रह सकती है जब वह संसद के निचले सदन लोकसभा में अपना बहुमत साबित कर सके। अविश्वास प्रस्ताव संविधान की ओर से सरकार के बहुमत का परीक्षण करने का तंत्र है। संविधान का अनुच्छेद 75(3) कहता है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है।

सांसदों की सामूहिक जिम्मेदारी को परखने के लिए लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव की अनुमति देती है, जिसे अविश्वास प्रस्ताव भी कहा जाता है। निचले सदन का कोई भी सांसद, जिसके पास 50 सहयोगियों का समर्थन है, किसी भी समय मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। इसे लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 198 के तहत निर्दिष्ट किया गया है।

अविश्‍वास प्रस्‍ताव से जुड़े 10 पॉइंट

  • 26 जुलाई को लोकसभा ने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था।
  • अविश्वास प्रस्ताव के नियमों के अनुसार, प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसद सरकार की कमियों को उजागर करते हैं। ट्रेजरी बेंच मुद्दों पर प्रतिक्रिया देकर विपक्ष को जवाब देती है।
  • बहस के अंत में प्रस्ताव पर लोकसभा सदस्यों के बीच मतदान होता है। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को कार्यालय खाली करना होता है। हालांकि, मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष के पास सरकार गिराने के लिए अपेक्षित संख्या बल नहीं है।
  • कांग्रेस नेता शशि थरूर और गौरव गोगोई पहले ही मान चुके हैं कि विपक्ष के पास प्रस्ताव पारित करने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लेकिन, इस प्रस्ताव का इस्तेमाल विपक्ष सरकार को मणिपुर की स्थिति के बारे में जवाब देने को मजबूर करने के लिए कर सकता है।
  • संख्या के लिहाज से एनडीए सरकार के पास 331 सदस्य हैं। अकेले बीजेपी के पास 303 सांसद हैं। संसद में बहुमत का आंकड़ा 272 है। दूसरी ओर I.N.D.I.A. ब्लॉक के पास 144 सांसद हैं।
  • बीआरएस, वाईएसआरसीपी और बीजेडी जैसी ‘तटस्थ’ पार्टियां हैं, जिनकी सामूहिक ताकत 70 है।
  • अतीत में लोकसभा में 27 अविश्वास प्रस्ताव आए हैं। लेकिन, अभी तक कोई भी सफल नहीं हो सका है।
  • हालांकि, 1979 में मोरारजी देसाई सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। यह और बात है कि बहस अनिर्णायक रही और कोई मतदान नहीं हुआ।
  • अब तक, तीन बार सत्तारूढ़ सरकार विश्वास मत में अपना बहुमत साबित करने में विफल रही। ये सरकारें उस समय गिर गईं जब विश्वास मत सत्र पर चर्चा के बाद मतदान हुआ। इनमें 1990 में वी.पी. सिंह सरकार, 1997 में एच.डी. देवेगौड़ा सरकार और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार शामिल हैं।
  • लोकसभा में सरकार के खिलाफ लाए गए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार से आरंभ हो रही चर्चा से पहले राहुल गांधी की सदस्यता की बहाली विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के हौसले को बढ़ाने वाली है। संभावना यह भी है कि वह विपक्ष की तरफ से चर्चा की शुरुआत करें।

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